परिषद् गीत : 'भारती की लोकमंगल साधना साकार हो '
रचना: डॉ.इंदुशेखर 'तत्पुरुष'
स्वर: डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंघवी
परिषद गीत : डॉ. इंदुशेखर ‘तत्पुरुष’
भारती की लोकमंगल साधना
साकार हो..
भारती की लोकमंगल साधना
साकार हो I
व्योमचुम्बी हिमशिखर से,हिन्दुसागर
तीर तक ,
ब्रह्मसुत के सीकरों से
,सिन्धुनद के नीर तक I
मातृभू की दिव्य छवि का,
एक रूपाकार हो,
भारती की
लोकमंगल..........II
क्रौंच वध की वेदना से ,
हो परिष्कृत तूलिका,
बन गई आदर्श जग का,
काव्यमय वह भूमिका I
आदि कवि के मूल्य अपनी,
दृष्टि का आधार हों ,
भारती की
लोकमंगल..........II
कम्ब, तिरूवल्लू, कबीरा,
चेतना के व्यास हैं,
सूर, तुलसी, भारतेन्दु,
भारती, रविदास हैं I
आत्मविस्मृत चेतना में,
प्राण का संचार हो I
भारती की
लोकमंगल..........II
आज उत्पीड़ित जगत, संघर्ष
से, प्रतिशोध से,
त्राण देंगे हम इसे,
एकात्म मानवबोध से I
प्रेय की प्रतिमा गढ़ेंगे,
श्रेय का संचार हो,
भारती की
लोकमंगल..........II
No comments:
Post a Comment