कबीर: दृष्टि एवं आधार












पुस्तक : कबीर: दृष्टि एवं आधार
लेखक : डॉ. राजेंद्र कुमार सिंघवी
प्रकाशक : अंकुर प्रकाशन, उदयपुर (राज.)
आमंत्रण मूल्य : ₹ 225.00
मेल-ankurprakashan15gmail.com
संपर्क : 9413528299


कबीर की वाणी देश काल की सीमा से परे, सार्वकालिक एवं समकालीन समाज को दिशा प्रदान करने वाली रही है। कबीर का अध्ययन और अध्यापन दोनों ही रोमांचकारी है। इसीलिए कबीर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर हिन्दी साहित्य ने निरन्तर विवेचना की है। इसी शृंखला में कबीर की दृष्टि एवं आधार का मूल्यांकन करने का लघु प्रयास है।

कबीर का जीवन-दर्शन जिसमें युगानुकूल कवि-धर्म निर्वाह, प्रखर व्यक्तित्व और विराट कवि-हृदय का दिग्दर्शन होता है। कबीर-वाणी का संग्रह ‘बीजक’ में है, उसमें संकलित साखी, सबद, रमैनी का वर्ण्य-विषय विद्यार्थियों के लिए सदैव पठनीय रहा है। इसी आधार पर कबीर की दार्शनिक-दृष्टि, साधना-मार्ग, प्रेम-निरूपण, ब्रह्म-निरूपण, रहस्यवाद तथा काव्य-शिल्प का अध्ययन आवश्यक है।

स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर कबीर की साखियाँ, सबद और रमैनियाँ पाठ्यक्रम में समाविष्ट हैं। उनका भाव एवं कला सौन्दर्य विवेचनीय है। उस दृष्टि से कबीर: दृष्टि एवं आधार पुस्तक विशेष रूप से उपयोगी है। कबीर की दार्शनिक दृष्टि में पारिभाषिक शब्दों, गूढ़ अर्थों आदि की सरल भाषा में प्रस्तुति का प्रयास इस पुस्तक में है, साथ ही कबीर के विचारों का अवगाहन भी सम्यक् दृष्टि से करने का प्रयास रहा है, जिससे अध्ययन-अध्यापन में समग्रता बनी रहे।

पुस्तक के लेखन की प्रेरणा का श्रेय मेरे विद्यार्थियों की जिज्ञासा को है, जिन्होंने कबीर के अध्यापन के समय कई मौलिक प्रश्न किए। मुझे आशा है कि यह पुस्तक उन सभी विद्यार्थियों एवं अध्यापकों के लिए उपयोगी रहेगी, जो कबीर की वाणी का अध्ययन करना चाहते हैं। पुस्तक प्रकाशन हेतु मैं श्री राजेन्द्र जी पानेरी, अंकुर प्रकाशन, उदयपुर के प्रति आभार ज्ञापित करता हूँ। आपके अमूल्य सुझावों का सदैव स्वागत रहेगा। 
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